मुंडेर पर

अब नहीं आते कौए छत की मुंडेर पर

कांव कांव कर संदेश भी नहीं देते 

मेहमानों के आने की वह कहानी का

बढ़ाते प्रदूषण से हो गया है खात्मा 

जैसे जंगल में फलदार पेड़ खत्म हो गए हैं

भुखमरी में बंदर आ रहे हैं गांव और शहर में

मानव के मचाए उत्पात का बदला लेने बंदर 

जंगल से बस्तियों में आकर उत्पात मचा रहे हैं 

बिछाए तारों के जाल में खुद इंसान घिर गया है

इन्हीं तारों में कभी कौआ फंसे अब बंदर उलझ रहे हैं

किचन गार्डन से सब्जियां, बगीचे से फल

हर दिन की दिनचर्या में कर लिए शामिल

अब गांव और शहर के लोग परेशान हो रहे हैं

बंदर का उत्पात मानव के मचाए उत्पात से कम है

अब भी वक्त है सुधरने का, वर्ना जंगल में हैं

शेर, हाथी, भालू जैसे जीव जो मुंडेर पर आ बैठेंगे

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