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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम तीसरा पत्र

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आयोग पर आयोग...आयोग पर आयोग... गठित कर रही है सरकार। आखिर कब  इसकी रिपोर्ट आएगी प्रधानमंत्री साहब। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नसबंदी के बाद महिलाओं की और दवा खाने से आम लोगों की मौत के बाद एक बार फिरसरकार ने न्यायिक आयोग गठित कर दी है। जानकारों के अनुसार इससे पहले सात मामलों में न्यायिक आयोग का गठन  जांच के लिए किया गया है। जिसका अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इन मामले के दोषियों को सजा भी नहीं मिली है और वे निश्चिंत होकर बाहर घूम रहे हैं। इसलिए अब सवाल यहां न्यायिक जांच आयोगो पर तो हैं ही साथ ही सरकार की कार्य प्रणाली पर भी उठ रही है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी, आपकी बेशर्मियत की क्या तारीफ किया जाए। आपकी बड़ी-बड़ी बातों ने ही लोगों को आपकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए सोचने पर मजबूर किया पर आपकी जो अब निति है वह कहीं न कहीं लोगों को खल रही है। इतनी बड़ी योजना को आपकी पार्टी की राज्य में बैठी सरकार भट्‌टा बैठा दिया और आप मुकदर्शक बने विदेशों का दौरा करते रहे इससे शर्म की बात और क्या होगी। सही कहा गया है कि सत्ता में बैठने के बाद लोग अंधे हो जाते है। यह अंधत्व आप और आपकी प

छत्तीसगढ़ सरकार के कैसे फैसले

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छत्तीसगढ़ की सरकार का बहुरुपिया चेहरा अब नजर आने लगा है। सरकार में बैठे दोहरे चेहरे वालों को लोग पहचानने लगे हैं। लोगों को यह भी पता चल रहा है कि अब क्या हो रहा है। उसने तीसरी बार एक ही पार्टी की सरकार चुनकर कितनी बड़ी गलती किया है यह उसे अब खल रहा है। दूसरी बार में मिले दर्द और सबक को भूला कर तीसरी बार सरकार चुनने के बाद जो दर्द मिला है वह कभी नहीं भूला जा सकता। अभी वे सरकार के दूसरे कार्यकाल की घटनाओं को भूल भी नहीं पाए थे कि   नया दर्द छत्तीसगढियों को मिला है।                       विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2013   को अभी एक साल नहीं बीते हैं... और नसबंदी में महिलाओं की मौत का नया दर्द छत्तीसगढ़ियों को मिला है। नसबंदी में मिलने वाली दवाओं में जहर मिलना छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ क्या है यह सरकार न्यायिक आयोग गठित कर साफ कर चुकी है। दवाओं में जहर मिलना और लोगों को देने से पहले मिली सप्लाई को सरकार के जिम्मेदारों ने जांच न कराकर जो लापरवाही दिखाई है वह साफ है। सरकार को छत्तीसगढ़ के लोगों की चिंता नहीं है। सरकार में बैठे ज्यादातर विधायक बाहरी राज्यों के हैं यहां बसने के