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तंबाकू पर कर बड़ने से सिगरेट के दाम बड़ गये...युवाओं पर महंगाई का एक और बोझ बड़ा दिया सरकार ने

तंबाकू पर कर बड़ने से सिगरेट के दाम बड़ गये...    संसद में मंत्री जी ने तंबाकू पर टेक्स बड़ा दिया। कितना घाटा हो रहा है आज के युवाओं को जो शौकिया सिगरेट पीते थे उनका तो अब पीना भी बंद हो गया। और जो लोग लत्ती थे  वे भी पीना कम कर दिए। लोगों के साथ यह सरासर अन्याय है। इसके लिए कोई खुलकर विरोध नहीं कर रहा यह समझ नहीं आता। पेट्रोल का दाम अगर 50 पैसे भी बढ़ जाने पर दिनभर इसी की चर्चा होती है। लेकिन तंबाकू का कर बढ़ाए जाने पर लोग चर्चा नहीं कर रहे है यह बहुत आश्चर्य करने वाला है।  मुझे लगता है सरकार जानती नहीं की तंबाकू की पुहंच रेडियो की तरह गांव-गांव और घर-घर में हैं वह बिना सिंगनल के वहां पहुंचता है। भारत का शायद ही कोई गांव होगा जहां तंबाकू की पहुंच न हो। यहां तक बॉलीबुड के फिल्मों में भी इसकी पहुंच हो गई है। तभी तो गाना गाते है ...पान सुपाड़ी का डब्बा दे दई । सरकार युवाओं पर एक और बोझ डाल दी है। इसका विरोध मैं करता हूं। लोगों के ऊपर यह अधिक भार होगा इसके उपयोग से धरती का भार कम होता है और सरकार इसपर कर लगा कर लोगों पर भार बढ़ा दिया है यह बहुत बहुत शब्द नहीं है इसके लिए।  लोगों

बात नहीं पहल भी होनी चाहिए

बात नहीं पहल भी होनी चाहिए अब वक्त सोच बदलने का है। संतान दो ही अच्छा हो कोई भी बच्चा। महिलाओं को शक्तिशाली बनते देखना चाहते हैं तो उनका सम्मान करना शुरु करो चाहे वह आपकी मां हो दूसरे की बहन वे खुद शक्तीशाली बन जाएंगी आपको रटने की जरुरत नहीं पड़ेगी महिला सशक्तीकरण-महिला सशक्तीकरण। म हिला सशक्तीकरण की बात आज हर व्यक्ति कर रहा है। यह अच्छी बात है कि लोगों को अब यह समझ आने लगा है कि महिलाएं भी इंसान होती है। वरना तुलसीदास जी की लिखी पंक्ति "ढोल, गवांर, शुद्र, पशु, नारी, सकल ताड़ना की अधिकारी" का मतलब ही अलग निकाल लेते हैं। सिर्फ अर्थ ही नहीं निकालते वरन ताड़ना में "प्र" प्रत्यय लगाकर प्रताड़ना बना देते हैं।  जबकि तुलसीदास जी के इस पक्ति में प्रयुक्त ताड़ना का अर्थ देख-रेख से है। पर लोगों को लगता है कि तुलसीदास जी अपनी पक्ति में यह कह रहे हैं कि ढोल को जैसे पीटा जाता है उसी प्रकार नारी को भी पीटा जाए। इतना हीं नहीं पूर्व से अब तक ऐसा ही चला आता रहा है। पहले राजवाड़ी प्रथा में लोगों को बंधुआमजदूर बनाकर प्रताड़ित करते हुए रखा जाता था। अपनी शान सौकत के लिए गरीब तबके क