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ओलंपिक में भारत की स्थित आबादी के हिसाब से घातक है, अच्छा होगा मेडल के लिए किसी थर्ड जेंड़र की तलाश करें

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रियो ओलंपिक में भारत के साक्षी और सिंधू को छोड़कर बाकि खिलाड़ियों ने कुछ खास कर नहीं पाए हैं। भारती की स्थिति 2 पदक के साथ 64 वें स्थान पर है। यह शर्मनाक है कि 120 करोड़ आबादी वाले देश में हम इतने भी खिलाड़ी नहीं तैयार कर पराते कि वे विश्वस्तर की इस प्रतियोगिता में 1 स्वर्ण भी ला सकें। जबकि हर वस्तु पर टैक्स लोगों से वसूला जाता रहा है। इन खिलाड़ियों पर खर्च होने वाली राशि और खेल में व्याप्त राजनीति ने देश के सिर को विश्व स्तर पर नीचा किया है। साथ ही यहां के राजनीतिक लोगों को सोचना ही चाहिए कि वे देश की क्या हालात बना रखे हैं। यह देश के मतदाताओं के लिए भी सोच की विषय है कि देश में खिलाड़ियों की जो स्थिति हैं उससे उनकी स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। खुशी की बात है कि जिस देश में लगातार दष्कर्म की पीड़ा बेटियां झेल रही हैं वहीं की दो बेटियों ने पदक हासिल किया। देश में महिलाओं पर पाबंदी लगाने और कोख में मारने से पहले अब लोगों को यह सोचना होगा। तीसरी बात यह भी कहना चाहूंगा कि बेटे की चाहत में अंधे लोग न सिर्फ बेटी बल्कि उस संतान को भी महत्व दें जो लिंग से बाहर हैं अर्थात थर्ड जेंडर को भी प्राथ