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जून 26, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गले तक गंदगी में डूबा शहर स्मार्ट बन गया

स्मार्ट सिटी बनाने की योजना मोदी को जिसने भी दी होगी बड़ी तारीफ करने की बात है। हमारे शहर को भी 1000 करोड़ रुपए मिलेंगे स्मार्ट सिटी बनाने के खातीर। मने कहने का मतलब है कि पहले से सीवेज का काम पिछले 8 साल से जारी है। इसमें अब तक 8 सौ करोड़ रुपए खर्च हो गए हैं। जबकि प्रोजेक्ट 300 करोड़ रुपए मात्र का था। तो स्मार्ट सिटी बनाने का जो प्रोजेक्ट सरकार ने बिलासपुर को दिया है तो मान लिया जाए कि यह तीन गुना यानी कि मात्र 3000 करोड़ रुपए खर्च किे जाना चाहिए। वैसे यह राशि विधानसभा चुनाव 2018 से ठीक पहले बिलासपुर को मिल जाएगी। मने की चुनाव का खर्च निकल जाएगा। इससे फिर जो जितेगा वह सिटी और अपने आपको स्मार्ट बनाएगा। दूसरी बात यह है कि अरपा को सुधारने के लिए भी एक प्रोजेक्ट आया है। इसमें 2100 करोड़ रुपए खर्च होने है। बोले तो अरपा में पानी लाना है इसे टेम्स नदी बनाना है तो इतना खर्च तो करना ही पड़ेगा। मेरे खयाल से यह काम बड़ा है तो समय थोड़ा ज्यादा लगेगा क्योंकि नदी की लंबाई जानकार 91 किमी बता रहे हैं। इस लिहाज से इसको सुधारने में कुछ समय और प्रोजेक्ट की राशि लगभग बढ़ भी सकती है। इसके बनने से बिलासपुर स्मार्ट

भाट चारण की प्रथा बहुत ही रोचक और रोमांचक है

भारत में भाट चारण की बात अक्सर उठते रहती है। फला राजनीतिक व्यक्ति का फला चैनल भाट चारण कर रहा है। इस मामले में सबसे अच्छी व्यवस्था अगर देखा जाए तो यही वे भाट लोग हैं जिनकी वजह से आज इतिहास बचा हुआ है। हालांकि यह अक्सर विजेता पक्ष के तरफ से लिखी जाती है। जिसमें जितने वाला कितना भी कलुषि पुरुष क्यों न हो उसका बहुत अच्छे से बखान किया जाता है। इसकी शुरूआत कब कहां से हुई इसकी आज तक किसी ने खोज नहीं किया। लेकिन हां पृथ्वीराज चौहान के मोहम्मद गौरी से युद्ध के समय बंदी चौहान के लिए जो भाट चारण किया गया मत चूको चौहान… वह अल्टिमेट था। मने कि एकदम फिट बैठ गया। जबकि चौहान को गौरी ने जो स्थिति की थी वह रासो की कहानी में पढ़ा जा सकता है। दोनों आंखे फोड़ दी और न जाने क्या क्या किया। इसी तरह महाभारत के युद्ध में भी हुआ… कौरव और पांडो के बीच चले युद्ध के बाद जो कथा निकली की पांडो सब कुछ हारकर कौरवों से मात्र पांच ग्राम मांग रहे थ। विशेषज्ञों का कहना है इस विषय में की वे मात्र पांच गांव मांग रहे थे… लेकिन वे पांच गांव कौन से थे जिसके कारण युद्ध हुआ। आज के समय में वह पांच गांव देश की राजधानी बन चुकी ह

भारत के राजनीति में योगासन जरूरी है

21 जून को पूरे देश में योग दिवस बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान राजनैतिक लोगों से लेकर सामान्य टूटपूंजिए कर्मचारी तक चेहरे पर लालिमा लाने योग अभ्यास करते दिखे। चाहे वह स्कूल का बरामदा हो या बड़ा स्टेडियम हर जगह लोग योग अभ्यास करते दिखे। ऐसे में राजनीति में योगासन किस तरह का चल रहा है इस पर भी बात जरूरी है। जब बात शुरू कर ही रहे है तो इसकी शुरूआत सुप्तासन से शुरू करते हैं यह दो लेवल पर किया जाने वाला आसन है। पहला चुनाव जीतने के बाद करते हैं। इस क्रम में राजनेताओं का पहला काम अपने ही घोषणा-पत्र को गोरसी की आग में धरकर फूंक देना होता है। दूसरा चुनाव हारने के बाद होता है। ये आसन ठीक उसी वक़्त शुरू होता है जैसे ही राजनेता ‘हम हार के कारणों की समीक्षा करेंगे’ कहते हैं। इसके बाद यह आसन शुरू हो जाता है। फिर पांच साल बाद आता है वोट नमस्कारम कुछ नेता सूर्य नमस्कार की तरह ही पांच साल में एक बार वोटरों को नमस्कार करने निकलते हैं।आसन नहीं कई आसनों का मेल है,जिसमें हाथ जोड़ना, हाथ हिलाना, झुकना, बे-बात भावुक हो जाना, रोने लगना, अपने पिता, दादी के मरने की बात करना, पैरों पर लो