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अक्तूबर 4, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लापरवाही किसकी...पब्लिक या प्रशासन...जिम्मेदार कौन...हम या...

पटना के गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान भगदड़ मच गया 33 लोगों की मौत हो गई 100 से ज्यादा लोग घायल हुए है। अफवाह के कारण यह हादसा हुआ अभी तक की जो रिपोर्ट है उसके हिसाब से। लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने व्यवस्था नहीं की थी। सवाल यहां यह है कि प्रशासन ने क्या व्यवस्था नहीं किया? जिसके कारण यह हादसा हुआ। देखने के लिए क्या प्रशासन ने आमंत्रित किया था? या प्रशासन ने यह अफवाह फैलाई थी कि वहां बिजली का तार गिर गया है। यह सब बकवास है लग रहा होगा हम पर सच यही है कि हम अपनी जिम्मेदारी कितना निभाए। पटना की बात है वहां अक्सर ही हादसे क्यों हो रहे है क्या यह प्रायोजित है नहीं ना तो फिर लापरवाही साहब हम आप की है जानते है कि वहां इतनी भीड़ है निकलने के लिए चार दरवाजे है तो क्या उस मैदान की क्षमता उतनी थी जितने लोग उसमें समा गए थे। प्रशासन मना करती तो हगांमा नहीं की तो मारे गए 33 लोग। लापरवाही तो है पर किसकी यह तय करने का अधिकार मुझे नहीं पर यह कह सकता हूं कि जितना जिम्मेदारी प्रशासन की आपकी सुरक्षा को लेकर है उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदारी आपकी अपनी सूरक्षा को लेकर होना चाहिए। हादसा हुआ लोग मारे गए

यहां रावण के सौदागर भी हैं और खरीददार भी

रावण को बेचने और खरीदने की परम्परा है इस पर ही एक लेख है। टॉपिक मुझे थोड़ा इंट्रेस्टिंग लगा तो सोचा आप तक पहुंचा ही दूं ताकि आप भी जान जाए कि हो क्या रहा है। बात यह है कि रावण दहन दसहरा की पूर्व रात मैं छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर जिसे यहां का न्यायधानी कहते हैं में घुमा। मैं यहां तीन महीने से हूं पर कभी भी रात 2 बजे भ्रमण करने का मौका नहीं मिला। किसी कारण वश यह देखने का मौका मिला घुमने का मौका मिला तो अपनी बाईक पर शहर घुमने निकल पड़ा। यहां मैं दुर्गा पंडालों को देखा, गली मोहल्लों को देखा और भी बहुत कुछ देखा साथ ही देखा की लोग रावण बना रहे है। थोड़ा जिज्ञासु हूं तो उनके पास जाकर खड़ा हो गया दूसरे दिन रावण दहन है तो सभी जी जान से इस काम में जुटे है देखता हूं। जितने भी कारिगर इस कार्य में लगे है वे सारे के सारे जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा रा‌वण के पुतले को तैयार कर रहे थे। मैं सोचा रावण दहन को लेकर कोई कंपटिशन होगा। उनसे पुछ लिया कि इतने सारे रावण पुतला का वे करेंगे क्या तो पुतला बनाने वालों की जवाब था बेंचने के लिए बना रहे हैं। यह सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ कि वे पुतला बेचेंगे। यह सुनकर मैं