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मार्च 8, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बहुत सारी बधाईयां देखने मिली काश उतना पालन भी करते

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर फेसबुक, ट्वीटर और ब्लॉग के साथ इंस्ट्राग्राम, गुगल प्लस, मैसेज हर जगह बधाई के  दौर चलते रहे। लोग महिला सशक्तिकरण से लेकर शिक्षा प्रणाली और रोजगारोन्मुखीकरण, रोजगार परख बनाने, मानसिक और आर्थिक रूप से सुदृढ बनाने कई तरह की बातें की गई। काश सारी बातें पूरी भी कर दी जाती। छोडों वह सब इतना तो करो कि उन्हें सम्मान करना सिख जाओ। मालूम है अब कई बहाने भी हो जाएगें यह तो बधाई देने वालों को सोचना चाहिए। पुरुष दिवस भी मनाना चाहिए  - देश में कई तरह के दिवस मनाए जाते हैं। इसमें न्यू इयर से लेकर 31 दिसंबर तक कई खास मौके आदे है। गणतंत्रता दिवस, आजादी दिवस, इसकी जंयती उसकी जयंती पुरुषों ने क्या बिगाड़ा है भाई इनके लिए भी कोई दिवस निर्धारित कर दो। ताकि इन्हें भी कोई बधाई दे दे। ----------- कैसा महिला दिवस शराब दुकाने तो बंद करवा सकती थी सरकार  - महिला दिवस वो भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस। कम से कम सरकार महिलाओं का इज्जत करना तो सीख जाए। उनको एक दिन ही मिलती है माना इस दिन कम से कम शराब की बिक्री पर बंदी लगा सकती है। गांधी ने विरोध किया शराब का इसलिए उनके जन्म और मृत्यु ब

मोदी जी अब मान भी लिजीए कि जो बादल गरजते ज्यादा है वे बरसते कम हैं

देश के प्रधानमंत्री जी यह क्या करवा रहे हैं इससे देश में भूचाल मचा हुआ है। आपकी वह मर्दानगी भरी बातें कहा गई जो राजस्थान की विधानसभा चुनाव के दौरान और लोकसभा चुनाव के समय किया करते थे।“ भाईयों और बहनों... मित्रों” कहां गया वह दावा जिसमें कहे थे कि सेना का एक जवान मारा जाएगा तो हम कंदा कोडकर ले आएंगे पाकिस्तान से। अब भाजपा समर्थित पार्टी पीडीपी देश की सरकार से पूछे बीना ही आंतकी को छोड़ देती है ताकि सेना के जवान मारे जाएं यह कैसी कथनी और करनी है। मोदी जी... आपने जो देश के नौ जवानों को वादा किया था वह झूठा निकला है। पहले 370 पर आपका 376 हो गया और अब आंतकी पर 377 भी लग रहा है कर दी पीडीपी ने। माना तो ऐसा ही जा रहा है। आपकी कथनी और करनी में उतना ही फर्क है जितना देश के पूर्व प्रधानमंत्री के कथनी और करनी में होती थी। हर सवाल का जवाब देना पहले प्रधानमंत्री भी नहीं चाहते थे और आप भी आपके और उनमें फर्क इतना ही है कि आप बोलते ज्यादा हो और वे चुप ज्यादा रहते थे। अब तो आपको भी मान लेना चाहिए की कथनी और करनी में फर्क होता है। जो बादल ज्यादा गरजते हैं वे बरसते कम हैं।