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गंगा किनारे गांव की यात्रा

        अयोध्या यात्रा समाप्ति के बाद गाड़ी रायबरेली की ओर मुड़ गई। अब यात्रा रायबरेली जिले के लालगंज तहसील तक जानी है। रास्ते में चलते हुए चर्चा सनातन संस्कृति को मानने और नदियों की महत्ता को समझने वाले पूर्वजों पर शुरू हुई। जब पूर्वज नदियों के किनारे निर्मल जल के लिए बसे होंगे। जब बसे होंगे तो उनकी सोच निश्चित ही नदियों से मिलने वाली सुविधाएं भी होंगी। बाद में खेती और यातायात से वे प्रभावित हुए होंगे। नदियों से मिली सारी सुविधाओं से संपन्न हुए इंसान को नदियों में उस समय निश्चित ही ईश्वर दिखाई दिया होगा तभी तो पुण्य लाभ के लिए वह हजारों वर्ष से नदियों को ईश्वर मानकर उनकी पूजा कर रहा है। जल मार्ग से यातायात तब से अब तक अनवरत जारी है, ऐसा नहीं है कि सभी नदियों के किनारे बसने वाले गांव और आबादियां संपन्न ही रही, उन्हें कोई तकलीफ नहीं हुई। बड़ी आबादी नदी के बाढ़ और कटाव से समय समय पर प्रभावित हुए। यही वाजह रही जो नदी किनारे बसे गांवों की आबादियां बाद के वर्षों में सड़क किनारे बसने लगी और अब हाईवे के किनारे आबाद हो रही हैं। रायबरेली से लालगंज के मार्ग आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना है यहीं से