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अक्तूबर 2, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गांधी को ही सिर्फ क्यों शास्त्री को याद क्यों नहीं कर रहा देश...

देश का भला करने वाले क्या सिर्फ गांधी ही थे बाकी नेता क्या देश को चट बस किए क्या। अगर देश का भला किए तो सिर्फ गांधी को ही हर मौके पर याद क्यों किया जाता है बाकि नेताओं को क्यों नहीं। अब 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती मनाई जा रही हैं ठिक बात है उनका जन्मदिन है उन्हें याद किजीए श्रद्धाजंलि अर्पित किजीए पर इस दिन लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्म हुआ था। उनकी आज 110 वीं जयंती है उन्हे देश में कितने लोंगो ने याद किया कुछ दिन पहले की हीं बात है भगत सिंह की जयंती थी उन्हें कितनों ने याद किया। क्या ये लोग देश के लिए कुछ नहीं किया। हालत तो ऐसे हो गए कि जिसका नाम हो रहा है वह अमर शहीद हो गया पर जो वाकई में देश का भला किया है देश के लिए कुर्बान हुआ उसको कुत्ता तक नहीं पुछ रहा। कुत्ते जयंती पर मुर्तियों पर पेशाब कर रहे हैं कही तो कहीं प्रतिमाओं के पास इतने घास उग आए है कि पता ही नहीं चलता है कि आखीर ए महा पुरुष है कौन। बस भगवान तो वे लोग बन बैठे है जिनके नाम का लोग फायदा उठा रहे है। राजनीतिक हरकतें हो पर महापुरुषों के साथ तो मत करो राजनीतिक रोटियां तोड़ रहे हैं बहुत अच्छा है, लेकिन उनका सम्मान भी

मन का रावण मारकर जीत लो जग सारा...

विजय दसमी पर रावण का वध दस सिरों वाले का अंत। हमारे राम ने आज के हजारों साल पहले हमें राक्षस रूपी रावण से मुक्त तो कर दिया पर क्या रावण मरा? सवाल तो है। जवाब है हां रावण तो मर गया जब राम ने रावण को मारा उसी समय रावण की मौत हो गई। फिर रावण को मैं जींदा कर क्यों रहा हूं तो इसका जवाब है कि रावण को पता था कि उसे राम मार देंगे इसलिए वह अपने शरीर में अपना प्राण को न बसाकर आदमी के मन में रा‌वण को बसा दिया क्योंकि वह विद्वान था राक्षण कुल में पैदा तो हुआ पर उसके पिता प्रखांड विद्वान थे और वह स्वयं भी प्रखांड विद्वान था। जिसनें शिव और ब्रम्हा को खुश कर लिया हो और उनको अपने अनुसार वरदान देने के लिए मजबुर कर दिया हो वह सामान्य तो नहीं हो सकता। यह भी मान्यता है कि रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और वह जब पर्वत लेकर लंका के लिए जाने लगा तो भगवान शिव ने उसे रोका तभी तो उन्होंने शिव स्त्रोत किया और फिर शिव को साक्षात प्रकट होना पड़ा। जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥ जटा कटा हसंभ्