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बंद हो देश का और विभाजन

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बंद हो देश का और विभाजन  1947 में आजादी के दौरान देश ने विभाजन का जो दंश झेला और उस समय लगी जख़्मे आज तक भरी नहीं हैं। समय-समय पर काश्मीर का यहां पर मैं जिक्र नहीं करना चाहता। मैं तो यहां यह कहना चाहता हूं कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने जो एक भारत नेक भारत का सपना देखा था वह साकार न हो सका। आजादी के समय से शुरु हुए देश का बटवारा आज तलक तक जारी है. पाकिस्तान बंटवारा शुरु हुई यह कहानी अनवरत जारी है । दुःख इस बात का होता है कि इतनी सरकारें आई और गई पर भारत को एक देश एक शक्ती शाली देश, एक विकसीत देश नहीं बना पाई। विकास के लिए सिर्फ देश का विभाजन किया जाता रहा। हाल में ही देश का एक और विभाजन किया गया। जिसका नाम तेलंगाना रखा गया। भाषा, धर्म, जाति के नाम पर लगातार इस तरह के विभाजन जारी हैं और अनवरत जारी रहेंगे। भारत का विभाजन कर राज्य पर राज्य बनाए जा रहे हैं मुख्यमंत्रियों को नियुक्त किया जा रही है...क्या इससे सचमुच देश का भला हो रहा जनता इससे कितना खुश है। इन बातों का कोई मतलब भी है या सिर्फ सत्ता के लिए देश का विभाजन हो रहा है। बतौर उदाहरण यहां पर मैं बात करना चाहता हूं झारखंड को