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अक्तूबर 28, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पारिवारिक विवाद में गई दलित बच्चों की मौत पर आंसू बहाने वालों अब बताओ ब्राह्मण का बच्चा क्यों मरा

हरियाणा में पारिवारिक विवाद में गई दलित बच्चों की मौत पर आंसू बहाने वालों अब बताओ कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ब्राह्मण का बच्चा क्यों मरा। इस पर तुम्हारी आवाज क्यों बंद है। वह इलेक्ट्रानिक मीडिया क्या सिर्फ दिल्ली और दिल्ली के हगे का गुह उठाने के लिए नोयड़ा में बैठी है। देश के दुरस्थ अंचलों की आवाज क्यों नहीं उठ रही है। बिलासपुर में हाईकोर्ट है यहां कि आवाज नेशनल स्तर पर क्यों नहीं उठाई गई। एसडीएम कोर्ट के सामने आखिर एक ब्राह्णण का बच्चा आत्मदाह क्यों कर लिया। सरकार हाईकोर्ट से यह जगह महज 6 किमी दूर था न। न्यायधानी में अधिकारियों कि लापरवाही से नसबंदी, न्यायधानी में अधिकारियों की वजह से आत्मदाह आखिर क्यों नहीं आए वे लोग बोलने आखिर क्यों नहीं उसके लिए हो रहा है देश की मीडिया में चर्चा। देश की मीडिया आखिर चूप क्यों है खाज तक से लेकर रंडी टीवी तक सब के सब बंद क्यों है। कांग्रेस शासन काल में बना कानून कांग्रेसियों की मौत की वजह क्यों बन रही है? कांग्रेस शासन काल में 1947 से 1950 तक कानून और संविधान बना है। इसी में से कुछ कानून 107, 116 भी बाद में बन गया। इसी कानून के कारण बिल्हा में द

20 दिन दो मौत...वजह एक फंडा 107,116

कैसी कानून व्यवस्था है बिलासपुर में... 107, 116 की पेशी के बाद जमानत नहीं मिलने से हाईकोर्ट से महज 6 किमी दूर दो लोगों की मौत हो चुकी है। यह जो धारा है किसी हत्या या बलात्कार करने के लिए नहीं बल्कि सामान्य शांति भंग के लिए उपयोग की जाती है। जानकार कहते हैं कि इसकी जमानत मुचलके पर थाने से हो जाती है। इसके बाद भी दो की मौत हो जाना कुछ तो वजह रही होगी। यह न्यायधानी है यहां कानून का मजाक बन गया है। न जाने न्याय के लिए और कितनी मौत देखनी होगी बिलासपुर के लोगों। केस 1  सेवती के जीवनलाल मनहर । 6 अक्टूबर को पेशी के बाद  सेवती के जीवनलाल मनहर को सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। उसे जमानत नहीं मिलने से पुलिस जेल भेज दी थी। देर रात उसे जमानत मिली। उसके खिलाफ गांव के सरपंच ने तालाब के विवाद में शांति भंग हो जाने की शिकायत किया था। यह मामला पैतृक संपत्ति से जुड़ा था। इसके बाद भी उसे जेल भेजा गया। हलांकि जानकार कहते हैं कि 107, 116 में थाने से मुचलका पर जमानत हो जाती है, इसके बाद भी बंदपत्र प्रस्तुत करने पर एसडीएम ऐसे मामले में आरोपी के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर सकता है। हुआ भी यही एस

कानून का मजाक नहीं बने हाईकोर्ट से निवेदन बिल्हा मामले को संज्ञान में ले

बिलासपुर जल रहा है, कैसे उम्मीद करें कि नक्सलवाद मिट जाएगा। कानून से लोगों का भरोसा उठ रहा है लोग कहां जाए? कोर्ट के सामने आत्मदाह कोई मामूली नहीं, जेल में जमानत मिले व्यक्ति की मौत कोई मामूली नही। हाईकोर्ट से निवेदन है इस मामले में सवत: संज्ञान में लेकर पीड़ितों को न्याय दिलाएं। वाह रे न्याय व्यवस्था। आंतकी को बचाने सुप्रीम कोर्ट रात में खुल सकता है, लेकिन जमानत मिलने के बाद जेल से आरोपी नहीं छूट सकता कैसा कानून है यह कैसी न्याय प्रणाली है यह? - इन दुखद घटनाओं को देखकर भारत के  कानून को क्या नाम दूं...? - ओ जलता रहा और काले कोर्ट पहने, सफेद पोस लोग सब देखते रहे...? - ओ एक था और आप सौ...उसे बचा नहीं पाए लानत है आपको। बिलासपुर में 20 दिन दो मौत...वजह एक फंडा 107,116 107, 116 की पेशी के बाद जमानत नहीं मिलने से हाईकोर्ट से महज 6 किमी दूर दो लोगों की मौत हो चुकी है। यह जो धारा है किसी हत्या या बलात्कार करने के लिए नहीं बल्कि सामान्य शांति भंग के लिए उपयोग की जाती है। जानकार कहते हैं कि इसकी जमानत मुचलके पर थाने से हो जाती है। इसके बाद भी दो की मौत हो जाना कुछ तो वजह रही होगी