संदेश

मई 20, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पत्रकार का दिखाई नहीं देने वाला दर्द

समाज के लिए एक बात पर पुरी दुनिया से लड़ने वाले पत्रकार के दर्द को शायद ही कभी किसी ने महसूस किया हो। अपनी कलम से पूरी दुनिया को हिलाने वाला पत्रकार अपने ही संस्थान, साथीयों व परिवार में बहुत ज्यादा उपेक्षित होता है। इतना कि वह पूरी दुनिया जीतकर भी अकेला और सिर्फ अकेला रह जाता है। उसके पास लोग सिर्फ और सिर्फ अपने मतलब के लिए आते हैं। इसके बाद भी जब पत्रकार से कोई काम नहीं हो पाता तो लोग कह देते हैं कि बिका हुआ है साला.... फलाना ढेकाना....। कभी खुद सोचा किसी ने कि पत्रकार का काम क्या है? क्यों उसे उस काम के लिए बोलते हैं जो उसके बस की बात नहीं... पहले उसे खुद दलाली कराना सिखाते हैं और बाद में जब वह किसी काम के बदले पैसा लगने की बात कह देता है तो उसे दलाल कहते हैं। ऐसा सिर्फ और सिर्फ समाज के लोगों की गलती के कारण होता है। पत्रकार को बदनाम करने के पीछे समाज की गलती है, क्योंकि कोई भी पत्रकारिता क्षेत्र में आने से पहले स्वच्छ और इमानदार पत्रकार ही होता है। उसे संस्था और समाज दलाल...दोगला और न जाने क्या गया बना देती है। कभी सोचा है इतनी महंगाई में पत्रकार की कमाई कितनी होती है? मैं बताता हू