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चौथा स्तंभ गिरवी है

चौथा स्तंभ गिरवी है भारत के संविधान में चार स्तंभ है जिनका अलग-अलग काम है। पहला व्यवस्थापिका, दूसरा कार्यपालिका, तीसरा न्यायपालिका और चौथा स्तंभ है मीडिया। कई बार सवाल उठे कि इस चौथे स्तंभ का काम क्या है ? कुछ बुद्धिजीवी ने यह कहा कि बाकि तीनों स्तंभ की देखरेख करने का काम ही मीडिया का है। पर सच क्या है? भारत की व्यवस्थापिका व्यवस्था तो कर रही है और कार्यपालिका 100 रुपए के काम में से 10 रुपए तक को करा ही रहा है। न्यायपालिका अपने काम में कितना कुछ कर रही है यह सबको पता है। लोकिन मीडिया काम इनकी देख रेख करना था तो वह क्या कर रही है। कहीं ऐसा तो नही कि भारत के तीन स्तंभ को पहले ही गिरवी रख दिया गया था। उम्मीद चौथे स्तंभ से था जिसे अधिकार था कुछ करने और तीनों स्तंभ की देख रेख करने का पर ऐसा हो नहीं पाया। आज चौथे स्तंभ पर खतरे का बादल मंडरा रहा है। हमारा चौथा स्तंभ गिरवी की गिरफ्त में जकड़ता जा रहा है। यह गिरवी हो रही है कार्पोरेट की और ना जाने किनका किनका पर उसे इसका हिसाब भी चुकाना होगा। आज नहीं तो कल मीडीया घराने को जवाब तो देना होगा।