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अक्तूबर 23, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वोट की वास्तविक कीमत क्या? शराब, पैसा या भविष्य

छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक है। मतदान होने में अब कुछ दिन ही बाकी हैं। कई क्षेत्रों में नामांकन की प्रक्रिया हो चुकी है। कुछ क्षेत्रों में 26 से नामांकन होंगे। इस सब के बीच चुनाव आयोग लगातार लोगों को मतदान करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। क्योंकि हर एक वोट जरूरी होता... लेकिन यह एक वोट कितने का होता है। एक पवा शराब, दो बोटी मांस, दो पांच सौ रुपए, कंबल-चद्दर या भविष्य। वैसे हर एक वोट जरूरी होता है का दावा करने वाले चुनाव आयोग ने कभी यह नहीं तय किया कि जनता के बीच का प्रतिनिधि हो न राजनैतिक दल के बीच का। आज जो भी प्रतिनिधि चुनावी मैदान में है वे जन प्रतिनिधि न होकर पार्टी प्रतिनिधि है। यही कारण है कि जनता के प्रतिनिधि नहीं होने के कारण ये प्रतिनिधि पहले पार्टी से टिकट पाने के लिए करोड़ों रूपए खर्च करते हैं, और फिर वोट पाने के लिए मतदाताओं को लुभाते हैं। जीतने के बाद यही वजह है कि ये प्रतिनिधि वापस जनता के बीच नहीं आते क्योंकि उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने पूर्व में खर्च किए पैसे की भरपाई करनी होती है। वे कैसे पैसे की भरपाई होगी उसकी पूरी जुगत में लगे रहते हैं। विभागों के ठेके दिलाने, ट्रांसफ

छत्तीसगढ़ की राजनीति में तीसरी शक्ति का झूठ

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इधर चुनाव से डेढ साल पहले ही कांग्रेस से अलग होकर  पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) का गठन कर लिया। इधर बहुजन सामाज पार्टी से गठबंधन कर लिए। उससे पहले उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ चुनने की घोषणा कर दी। लोगों ने उनकी बात को सच मान लिया। ऐसी ही एक घोषणा दो दिन पहले उन्होंने किया कहा अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। फिर एक बयान आया कि चुनाव लड़ेंगे, लेकिन मरवाही से। फिर 24 अक्टूबर को राजनांदगांव से मुख्यमंत्री ने नामांकन दाखिल किया। उनके खिलाफ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने एक पार्षद को मैदान में उतारा है। न यहां से खुद जोगी मैदान में आए और न ही उनके परिवार से कोई सदस्य। यह झूठ क्यों इसका मतलब तो आप समझ ही गए होंगे....