कुकुरमुत्ते की तरह न उगे आईअईटी और आईआईएम...
संसद के बजट में जिस तरह आईआईटी और आईआईएम की घोषणा हुई है इससे इस पढ़ाई का मान गिरेगा। पहले चिकित्सा और इंजीनियरिंग का बहुत मान था पर हर जगह खुले मेडिकल और इंजिनियरिंग कॉलेज के कारण स्थिति सबके सामने है। कहीं यही हाल इस प्रोफेशनल कोर्स का न हो जाए सरकार इस ओर ध्यान दे नहीं तो आने वाले समय में कुकुरमुत्ते की तरह ये संस्थाएं उग आएगीं और स्थिति बड़ा भयावह होगा। आज खड़गपुर, अहमदाबाद और दिल्ली आईआईएम का नाम है दुनिया भर में पर अगर यही संस्थाएं लगातार खुली तो इसका मान कम हो जाएगा। सरकार को इन संस्थाओं का मान बनाए रखना चाहिए। जिस तरह रोल्स रॉयल का अपना क्रेज है उसी प्रकार आईआईएम का अपना मान है और उसमें पड़ने के लिए उसी प्रकार की योग्यता होनी चाहिए जिस प्रकार रोल्स रॉयल को खरीदने के लिए राजा होना या उसका बंसज होना अनिवार्य होता है। आईआईएम में एडमिशन उन्हीं को मिलता है जो उस लेबल का टेस्ट फाईट करता है। अमेरिका और ब्रिटेन के विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिनकी शाखाएं नहीं खुली इससे उनकी मान तो बनी ही रही साथ ही आज उनका वर्चस्व भी बना हुआ है। शाखा बड़ाने से सुविधाएं बड़ जाती है पर कंपटीशन कम होने से उसका