न्याय व्यवस्था से उठता विश्वास
उत्तरप्रदेश में पिछले एक माह में यह दूसरी घटना है जब पुलिस की मौजूदगी में किसी की निर्मम हत्या कर दी गई हो। इससे पहले पुलिस खुद गाड़ी पलटकर और अपराधी का पीछा कर एनकाउंटर कर रही थी। यह न्याय पाने और न्याय देने का तरीका पुलिस और सरकार ने जो इजाद की हैं यह भविष्य के लिए बहुत ही खतरनाक होते जा रहे हैं। कुछ जगहों से सूचना आ रही है की जेल के भीतर बन कैदियों और बंदियों तक की हत्या कर दी जा रही है। खासकर ऐसे जेलों में जहां गंभीर मामलों के अपराधी बंद हैं जिनका ट्रायल अब भी कोर्ट में लंबित है। आम जनता का पहले ही न्याय व्यवस्था के ऊपर से विश्वास डगमगा गया है, ऐसे में इधर जज के सामने गोली मारकर हुई हत्या ने कानून व्यवस्था के ऊपर से विश्वास उठाने का काम किया है। न्याय मिलने में हो रही देरी का दुष्परिणाम अब सामने आने लगा है। पीड़ित अब न्याय पाने के लिए बेचैन और उतावले होने लगे हैं। लोगों का कानून व्यवस्था पर से विश्वास कम हो रहा है। वह अपने ढंग से न्याय की खोज करने निकल पड़े हैं। जैसे सन्यासी शांति की खोज के लिए दूरस्थ वनांचल क्षेत्र का चयन कर रहे हैं। उसी तरह से पीड़ित कहे या न्याय की खोज करने व