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अक्तूबर 20, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कनफोडू पटाखा और हम

शोर सभी के लिए नुकसानदेह होता है चाहे वे बुजुर्ग हो या बच्चे। लेकिन जवानी के जोश और पैसे की गर्मी के कारण हमें यह शोर कभी सुनाई नहीं देता। सुनाई नहीं देता यह मतलब नहीं है इस शोर में भी हमें आज आनंद आने लगा है। इससे ना सिर्फ हम खुश होते हैं बल्कि दूसरे परेशान होते हैं तो उससे हमें ज्यादा खुशी मिलती है। बड़े धमाके करके जितना खुश हम नहीं होते उतना उससे परेशान लोगों को देखकर हमें खुशी मिलती है। फिर पटाखे घर के आंगन में तो नहीं फोड़ेगें हमारे बाप का सड़क है दूसरे मेरे घर के सामने आराम से कैसे जा सकते हैं उन्हें भी तो पता चले कि हम पैसे वाले रइस है इस लिए सड़क पर बल्कि बीच सड़क पर हम पटाखे बिछाएंगे। भले ट्रैफिक जाम हो जाए उससे मुझे क्या मुझे तो पटाखे जलाने है साला कोई मरता है तो मरे इससे मुझे क्या। मुझे मजा आना चाहिए और मेरे इस काम मेें कोई दखल दिया तो जानते हैं ना फिर आप मेरे घर के सामने से गुजर रहे यह गली भी हमारी है और उस गली के हम छोड़ों क्या है आपको इससे क्या जो भी है हम हैं बस हमें यही बने रहने में मजा आता कोई ना तो मुझे गाली देगा और ना ही कुछ बोलेगा अपनी गली में तो हम हीं सबकुछ है। आपको प

महंगाई : हमारे पास है बचने के उपाय

महंगाई से बचने के लिए हमारे पास बहुत सारे साधन है बस उन्हें अपनाने की जरुरत है। क्योंकि हर जगह आज महंगाई महंगाई महंगाई...शब्द लोगों के बीच गुंज रही है। रोज हर रोज यह मुद्दा लोगों को परेशान कर रहा है। लोगो के लिए आज हर जगह महंगाई है। हर इंसान इस महंगाई से परेशान है। अमीर हो चाहे गरीब सभी पर महंगाई का असर समान रूप से पड़ रहा है। अमीर परेशान है पेट्रोल के दाम बढ़ने से तो गरीब परेशान है दो वक्त की रोटी जुटाने में। आज महंगाई की कोई सीमा नहीं है...सब्जी के दाम बढ़े तो महंगाई टमाटर के दाम बढ़े तो महंगाई, प्याद महंगा हुआ, मोबाइल के कॉल रेट तक महंगे हो गए... कपड़े महंगे हुए, खाद सामग्री महंगी हुई। गाड़ियों के दाम घट रहेंं है तो पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ रहे है, जमीन का दाम बढ़ रहें हैं, जनसंख्या बढ़ रही है तो महंगाई भी बढ़ रही है घर बनाने से पहले ही लोगों का दिवाला निकल जाता है। इसके बढ़ने से लोग कमा तो ज्यादा रहे हैं पर आमदनी से ज्यादा खर्च हो रहा है। इससे उनमें ब्याप्त गरीबी बनी रह रही है। इस वक्त लोगों को महंगाई से राहत दिलाने बैंक मदद के लिए आगे आ रही है लोगों को तरह-तरह के लोन उपलब्ध करा रही है। मह

दीपावली बनाम पटाखा, मिठाई बनाम मिलावट

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दीपावली आ गई अब मिठाइयां खिलाने और पटाखों की झड़ी लगेगी। धमाको से पूरा गांव और शहर गुंजायमान होगा। लोग एक दूसरे को मिठाई खिला बधाई देंगे। रोशनी और खुशियों की प्रतीक दिवाली को अगर सुरक्षित रूप में मनाना है, तो कुछ उपायों को ध्यान में रखकर दिवाली को उल्लासपूर्वक मनाया जा सकता है। फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को पटाखों के प्रदूषण से दूर रहना चाहिए और ज्यादा आवाज वाले पटाखों से परहेज करना चाहिए। दीवाली आई तो पटाखे और फुलझड़ियों के साथ मिठाइयों की सौगात भी लाई है। अब सभी को फेस्टिवल पर तो मिठाईयां खाना अच्छा लगता ही है। मिठाइयों की बात आती है जब तो मिलावट भी उसके साथ-साथ चली आती है। मिलवटखोरों के लिए दिवाली केंद्र सरकारी के कर्मचारियों के बोनस की तरह ही तो आती है। दिवाली आते ही नकली और मिलवटी खोवे आने शुरु हो जाते हैं। साथ ही मिलवटी मिठाइयों का कारोबर चल निकलता है। जांच के लिए फूड विभाग और ड्रग विभाग तो हैं और समय-समय पर वे जांच करते हीं है पर नियमित जांच और कार्रवाई न होने निगरानी न रखने के कारण मिलावटखोरों का हौसला बुलंद है। मिलावट तो अब हर चीज में है और बिना