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सितंबर 28, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सबको अब पीतरों की याद आने लगी है, अब चले आओ

पितृ पक्ष शुरू हो गया है। सुबह से ही लोगों के घरों में अपने पितरों को बुलाने का दौर शुरू हो गया है। घर में चिड़ियों खास कर कौओं के लिए भोजन रखे जा रहे हैं। गायों की सेवा हो रही है, कुत्तों को भी रोटिया खिलाई जा रही हैं। प्रदुषित हो चुके तालाबों और नदियों में अपने जीवन को नर्क समान जीने वाले जीवों मछलियों को भी आटे के गोलिया खिलाई जा रही हैं। सब पितरों को मोछ प्राप्त कराना है। यह सब हमारे बच्चे भी देख रहे हैं। वे भी आने वाले समय में वही करेंगे जो हम कर रहे हैं। पूरी जिंदगी अपने मां बाप को दो-वक्त की रोटी तक समय पर नसीब नहीं होने देते। पहले-पहल वे हमे अच्छे कपड़े मिले, पुस्तक मिले शिक्षा मिले इसके लिए परेशान रहते हैं तब समय पर नहीं खा पाते। फिर हम उन्हें वृद्धाश्रम भेजकर खाना ही नहीं देते। मरने पर उनकी आवभगत करते हैं क्या फायदा। इससे तो अच्छा है यह पितृपक्ष कभी आए ही न। पितृ पक्ष परिवार को जोड़ने के लिए होता है। परिवार को समूह बनाने के लिए होता है। सामूहिक परिवार का अंग है पितृ पक्ष। यह न सिर्फ पितरों को बुलाने का बल्कि पुर्वजों को याद करने के लिए एकजुटता के लिए है। इसमें समाज और वायु मंडल

कलम का मामला है कड़क से अकड़, पकड़ रहिए साहब

यह लेख कलम की पूजा करने वाले पत्रकारों के लिए है। पत्रकारों में जिस तेजी से नैतिकता के गिरने का दौर शुरू है आने वाले समय में लगता नहीं है कि पत्रकारिता सही मायने में हो पाएगा। मीडिया पर पहले से विज्ञापन तंत्र हावी है। वहीं मालिकाना हक के कारण पंगुता की कगार पर पहुंच चुकी पत्रकारिता में कलम पकड़ने वालों की नैतिकता का गिरना लाजमी तो है, लेकिन जो लिखना चाहते हैं और अपनी पत्रकारिता बनाए रखना चाहते हैं उनके लिए अकड़, पकड़ और कड़क बनाए रखना होगा। लिखे तो क्या लिखे जब पढ़ने वाले की फाड़ कर न रख दे। कुछ साल पहले एक पेन के प्रचार में इंटरव्यू लेने वाला पत्रकार मंत्री से सवाल करता है। बारिश वाली सीन में मंत्री जवाब देने की जगह उल्टा सवाल करता है क्या करोगे लिखकर। उस प्रचार वाले पत्रकार ने बड़ी ही सहजता से जवाब देता है लिखकर फाड़ देंगे। यही होना भी चाहिए। लिखिए तो फाड़ देने वाले अंदाज में। माना यह अब मुमकिन नहीं लेकिन जहां है वहां तो लिखिए। दुश्मनी मत लिजिए लेकिन सच को लिखन के लिए अपने पिछवाड़े में दम तो रखिए। पुस्तक को पठन के दौरन एक लाइन “बलिया जिला घर बा त केकरा से डर बा” इस डर को घर से खत्म करना होगा