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दिसंबर 3, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तमिलनाडू में तबाही

देश भोपाल गैस कांड की 31वीं वरसी मना रहा है। पूरा देश यहां के लोगों को नहीं मिले न्याय के लिए रो रहा है, इसी के साथ प्रकृृति ने तमिलनाडू में कहर बनकर बरपा है। पूरे देश का ध्यान आज तमिलनाडू पर है। यहां भरे पानी ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। वहां के लोग सुरक्षित हो दुआएं की जा रही है। यह 31 साल बाद 2-3 दिसंबर की रात फिर से याद दिलाती है। ऐसी ही ठंडी रात थी वो 2-3 दिसंबर की रात जब तन को आधे-अधूरे कपड़े से ढंके भोपाल के लोग नींद में सोते रह गए थे। तमिलनाडू में भी वहीं 1,2 और 3 दिसंबर का समय है जहां लोग भारी बारिश से परेशान हुए हैं। यहां का जनजीवन इतना प्रभावित हो गया कि सेना को कमान सम्हालनी पड़ी है। प्रकृति हमें संदेश दे रही है, हम लगातार प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आलम देश की राजधानी दिल्ली का भी कुछ ठीक नहीं। वहां प्राकृतिक के साथ इतना ज्यादा खिलवाड हो रहा है कि आने वाले समय में वहां भी हादसा होने की आशंका है। वहां एक गोल परत सा जम गया है धूल और धुएं से बने धुंध का। गैस के गुबार सा हो गया है पूरा शहर। यह भी बोल सकते हैं कि सिलेंडर बन चुका है दिल्ली। प्रकृतिक हादसों को

और सोता रह गया था भोपाल शहर

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प्राकृतिक खूबसूरती का नायाब तोहफा भोपाल आज से 31 साल पहले 2-3 दिसंबर की रात सोता रह गया था। करीब 70 एकड़ जमीन के टुकड़े पर खड़ा यूनियन कार्बाइड का कारखाना संसार की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी का खामोश सबूत बन गया है। कभी इसके स्थापना पर नए उद्योग के शुभ समाचार के रूप में आया और आखिरकार दुनिया के सबसे दर्दनाक हादसे की वजह बन गया। शहर के सीने पर बंधे यह एक टाइम बम की तरह था। जिसने भोपाल शहर को नींद से उठने तक नहीं दिया, और जो लोग उठे वे फिर कभी चैन से सो नहीं पाए। वे उस दर्द को आज भी महसूस कर रहे हैं, जो उस समय उन्हें मिली।  खूबसूरत भोपाल के दामन में एक ऐसा गहरा दाग, जो दुनिया की याद्दाश्त में हमेशा के लिए दर्ज हुआ। दिसंबर की आहट होती है तो अचानक दो-तीन तारीख की उस भयावह ठंडी रात की याद भी ताजा हो उठती है, जिसकी हवाओं में एमआईसी की चुभती गंध समाई थी।  अगली सुबह यह नाम पहली बार सुना गया था-मिथाइल आइसो साइनेट। करीब 15 हजार बेकसूर लोग मारे गए थे। पहली बार श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ गई थी। यह दिल दहलाने वाला एक आंकड़ा भर नहीं है। जिंदा बच गए हजारों दूसरे लोगों के लिए जि