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हम टैक्स क्यों दें ? एक तनख्वाह से कितनी बार टैक्स दैं और घोटाले को नजरअंदाज करें

सरकार के आकड़े के मुताबिक भारत में मात्र कुछ परशेंट लोग ही टैक्स देते हैं। अगर आंकड़ा सच है तो इस तर्क पर सरकार को जवाब देना चाहिए। वित्त मंत्री को आगे आकर बताना चाहिए कि देश के 250 करोड़ जनता किसी न किसी रूप में टैक्स नहीं देती। सवाल यह कि हम कितने बार टैक्स दें। और क्यों दें। रात दिन हाड़तोड़ मेहनत करते हम हैं... हमें न सही सड़क मिलती हैं, न ढंग का पानी, न सुरक्षा की कोई गारंटी। थाने में जाओ तो पुलिस को घूस दो, कोर्ट में जाओ तो बाबू को घूस दो। निगम में जाओ तो क्लर्क को, मंत्रालय में जाओ तो आईएएस को तो फिर टैक्स देने की जरूरत ही क्या है। मेरे ख्याल से यह टैक्स भी एक घूस की तरह ही हो गया है। महीने के पहली तारीख को एक तनख्वाह मिलती है। इसके बाद कितनी बार टेक्स देते हैं इस पर कभी सरकार ने गौर क्यों नहीं किया... इसका जबाब है??? ये थे ब़डे घोटाले … 1948 जीप घोटाला, आज़ाद भारत का पहला घोटाला 1951 साइकिल घोटाला, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव फंसे 1956 बीएचयू फंड घोटाला, आज़ाद भारत का पहला शैक्षणिक घोटाला 1958 मूंध्रा घोटाला, फिरोज गांधी ने किया खुलासा, फंसे वित्त मंत्री 1963 आज़ा