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सरकार बदली पर शरहद पर हालात वही है

आजादी के वक्त मिले बंटवारे के दर्द को देश कैसे भूल सकता है। ऐसे में जब लगातार विभाजित देश पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी हो रहा हो तो यह दर्द और बढ़ जाता है। भारत सरकार लगतार समझौता का रुख अख्तियार करती रही है और पाकिस्तान इसे भारत की कमजोरी मानकर लगातार गोलीयां और बंबबारी कर रहा है। इसी हालात के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच  कई बार युद्ध भी हुई और इसमें हर बार पाकिस्तान को हार मिली पर हालात वही रहे जो थे। सन् 1999 के कारगिल युद्ध में बुरी तरह पराजय के बाद पाकिस्तान ने तत्कालिन भारत की भाजपा सरकार अटल विहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के समक्ष  सरेंडर किए और फिर सीज फायर समझौता हुआ जैसा की हमेशा से होता आया है। तबके बाद कुछ समय तक तो हालात ठीक रहे फिर 2004 में केंद्र की सरकार बदली कांग्रेस की सरकार बनी उनको सत्ता मिली। सरकार ने पाकिस्तान के साथ पूर्ववत सहानुभूति के साथ बात करने की कोशिश की जितनी बार बात करते उतनी हीं बार शरहद पार से गोलीयां चलती रही। यहां तक की सेना के जवानों का सिर तक काट लिया गया। भारत की सरकार नरमी बरत कर सहती रही और सह रही है। कब तक सहेगी पता नहीं। अब हालात वहां और खराब हो गय