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दिल्ली के बाद अब छत्तीसगढ़ की क्षेत्रीय पार्टी में पड़ी दरार

समुद्र मंथन से जैसे कई रत्न और दिव्य शक्तियां निकाली ठीक उसी तरह भारतीय राजनीति में जंतर मंतर में अन्ना का 2011 का आंदोलन रहा। दोनों की तुलना इसलिए क्योंकि इस आंदोलन से भी कई रत्न निकले। जिसने देश की राजनीति की चुल हिला कर रख दी। हालांकि इन शक्तियों में अब टकराहट होने लगी है। जैसे अमृत के लिए देव और राक्षशों में टकराहट थी। फिर छल पूर्वक अमृत पान के बाद देवाताओं में आपसी टकराव हो गया था। ठीक उसी तरह दिल्ली में चुनाव जीतने के बाद अरविंद केजरीवाल जो खुद को इमानदारी के देवता कहते थे की आम आदमी पार्टी में टकराहट होनी शुरू हो गई। इधर दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस से अलग होकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का गठन किया। एक साल के भीतर ही इस पार्टी के दो नेताओं को बाहर का रास्ता देखना पड़ा। दरअसल एक के ऊपर उगाही का तो दूसरे के ऊपर पार्टी नियमों के खिलाफ काम करने का आरोप लगा। देखें तो दिल्ली और छत्तीसगढ़ की पार्टी के बीच अंतर कुछ नहीं है। दोनों ही पार्टियों की आधार एक जैसा ही है। जनता के लिए काम करने का , लेकिन वर्तमान में देखा जाए दोनों पार्टियों में दरा