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वो सात महीने काली रातें...75 रुपए के लिए आदर्शवादी भारतीय समाज की करतूत

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शैली राय (शैली राय ... का जन्म दार्जिलिंग में हुआ और छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहती हैं। वहां एनजीओ चला रही हैं ,  जिसका मुख्य उद्देश्य समाज सेवा है। छत्तीसगढ़ के कॉलेज से ग्रेज्युएशन ,  फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा तथा एरिना मल्टीमीडिया से डिजाइनिंग कोर्स किए हैं। इनका कहना है कि उच्च शिक्षित होने के बावजूद किन्नर होने से हमें कहीं नौकरी नहीं मिली। शैली  कहती हैं  किन्नरों के प्रति समाज में जो सोच है ,  उसे बदलने की जरूरत है। किन्नर एकाकी जीवन जीते हैं ,  वे न तो घर बसा सकते और ना ही  उन्हें  संतान का सुख मिलता है। समाज में भी उचित मान - सम्मान नहीं मिलता।)    कि सी के घर शादी हो, बच्चा हो या कोई और खास मौका, किन्नरों को खबर मिल जाती है और वे वहां नाचने आते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इनकी दुआएं जल्दी कुबूल होती हैं, लेकिन इनकी खुद की जिंदगी में क्या दुआओं की कोई जगह है? शायद नहीं। क्योंकि भारतीय समाज में सबसे ज्यादा उपेक्षित वर्ग आदिवासी, दलित, महिला और विकलांग को माना जाता है। बावजूद इसके कि एक वर्ग ऐसा भी है जो इन सबसे कही ज्यादा उपेक्षित और हेय दृृष्टि से देखा जाने