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सूखे पर राहत या राहत पर सूखा

सूखे पर राहत सूखा पीड़ित किसानों के साथ सरकारों का राहत के नाम पर किया जाने वाला मजाक कोई नई बात नहीं हैं। मुआवजे के नाम पर किसानों के साथ लगातार भद्दा मजाक जारी है। ऐसे ही कई मामले एक साथ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में सामने आया। दरअसल यहां के रंगबेल , खैरभवना और कनबेरी के किसानों ने खेत में धान और बीमा कंपनी को ऋण लेकर धन दिया था। इसलिए की फसल पर कोई मुसिबत के वक्त यह राशि बीमा कंपनी से मिलेगी , लेकिन जब सच में मुसीबत आई और बीमा कंपनी ने जो मदद दिया वह उन्हें राहत कम ताज्जूब ज्यादा किया। यह सूखे की राहत किसके के लिए फायदेमंद है , किसान या बीमा कंपनी। किसानों के लिए उनके खेत और उस पर उगी फसल ही सालभर की कमाई का प्रमुख जरिया है। ऐसे में अल्पवर्षा की वजह से निर्मित हुए सूखे के हालात ने उनकी कमर तोड़ दी है। इस मुश्किल में शासन ने उनके लिए बीमा के मरहम की व्यवस्था करते हुए राहत देने की योजना शुरू जरूर की। लेकिन इस बीमा योजना के रूप में उनके खाते में दी जा रही राशि भी उनके जख्म पर राहत देने नाकाफी है। सूखे की मार पर मरहम की बजाय बीमा कंपनी ने किस्तों में किसानों को बहुत कम राशि जारी कर