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अक्तूबर 29, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंधविश्वास की भी हद होती है

आजादी के बाद से लोगों में लगातार शिक्षा और रहन सहन में बदलाव हुआ है। लगातार लोग जागरुक और जानकार होते गए। उच्च शिक्षा देश में मिलने लगी तो यहां के कई नामचीन संस्थाओं के दुनिया में नाम हो गए। भारत के लोगो का नाम दुनिया भर में फैल गया इसलिए की यहां के लोग संस्कार वान होते है। बहुत ही बुद्धिमान होते हैं। लेकिन जब सुनता हूं की तांत्रिक के विश्वास में आकर मां ने अपने बेटे को, पड़ोसी ने पड़ोसी के बच्चे को, सांप न काटे इसके लिए मंंत्र तंत्र के बाद प्रसाद खाने से, और टोनही होने के शक में किसी की हत्या कर दी जाती है कि इससे अच्छा तो गुलामी था। कम से कम लोगों में यह अंधविश्वास तो नहीं था। तंत्र मंत्र होना चाहिए पर इस तरह नहीं कि जो वैज्ञानिक मान्यता को और सांस्कृतिक मान्यता को शर्मशार कर दे। कुछ दिन पहले दो समाचारों ने मन को बहुत आघात पहुंचाया। दोनों ही मामला छत्तीसगढ़ राज्य का है। ‌वैसे तो बहुत सारे समाज सेवी यहां काम कर रहे है। समाज सेवी संस्थाएं काम कर रही है पर यहां कुछ ज्यादा ही टोनही होने पर अपराध होने की घटनाए होती है। कुछ दिन पहले कि ही बात है यहां के छत्तीसगढ़ के बेलतरा की घटना दिल दहला द

जब डूबते सूर्य को नमस्कार करते हैं

एक कहावत है ना कि डूबते सूर्य को कोई नमस्कार नहीं करता। ऐसा नहीं है हिंदूओं का छठ एक मात्र ऐसा त्योहार है जिसमें डूबते सूर्य को भी नमस्कार किया जाता है। यह दिवाली से छठे दिन अर्थात षष्ठी तिथि को पड़ता है। इस दिन डूबते सूर्य को और दूसरे दिन उदय होते सूर्य को नमस्कार किया जाता है। दिवाली त्योहार के छठवे दिन सूर्य पूजा का अपना महत्व है। धन धान्य देने वाले इस त्योहार की पूर्वोत्तर भारत में बड़ी धूम होती है। लोग इसे बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बड़े हर्षोल्लास से मनाते है। इसका केंद्र हलांकि बिहार को माना जाता है, पर अब यह अन्य राज्यों और देशों में भी फैल गया है। बिहार के छठ पूजन करने वाले लोग वहां भी इसे मनाने लगे हैं। त्योहार में लोग बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा पाठ करते है। इसमें शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है। उपवास रखते हैं और धन धान्य, संतान के लिए सूर्य देव के साथ छठ माता की पूजा करते हैं, कामना करते हैं। डूबते और उगते दोनों सूर्य को नमस्कार किया जाता है। लद गए वो दिन कब किसका वक्त बदल जाए कहा नहीं जा सकता। जानते हैं सूर्योपासना के बारे में छठ कार