याकूब यानि आंतक का अंत सही पर मीडिया में क्या उस दिन भी इतनी चर्चा हुई जब कितने सारे घरों को उजाड़ दिया था इन हरामखोरों ने
याकूब मेनन हरामखोर देश का गद्दार माचो... ऐसे लोगों को कुत्तों के मांद में डालकर मारना था। सालों ने जो किया था उसके लिए इससे भी बुरी मौत होनी चाहिए थी। पुरी जिंदगी जेल में सड़ाकर अंतिम समय में फांसी देना था हरामखोर को। साले ने देश की मुंबंई को अपने बाप की सल्तनत समझ लिया था। बुरी इस बात की लगी की हरामी की मौत पर मीडिया ने बहुत चर्चा कर दी। ऐसे हरामखोरों के खिलाफ अमेरिका जैसे देश सही कार्रवाई करती हैं। अपने दुश्मनों को या तो सीधे सूट कर देती हैं या फिर 50 साल और सौ साल की सजा सुनाती है। मीडिया ने मुंबई पर हुए हमले और इस हमले में मरने वालों के परिवार के बारे में नहीं दिखाया यह बुरी बात है। काश एक बार याकुब हरामी के परिवार वालों के बजाय जो सुअर को जन्म दिया है उन्हें दिखाने के बजाय उन परिवारों को दिखाते कि कैसे खुश हो रहे हैं। उन्हें यह न्याय मिलना बड़ी बात है। 2002 में किस तरह कई परिवारों को अपने से अलग कर दिया था इन हरामखोरों ने हमेशा हमेशा के लिए। देखा कुछ कुत्तों को देश के गद्दारों की गां...चटाई करने वालों की। हरामखोर नेताओं को जो खाते इस देश की है और खाते इन मादर...चो... की है। हरामखोर