साइकिल चलाने के चार चरण जिससे गुजरे हम
साइकिल कहानी का शीर्षक साइकिल है। हम इसी से संबधित बात कर रहे हैं। हमारे जमाने में साइकिल चार चरणों में सीखी जाती थी। हम वह पीढ़ी हैं जो साइकिल को छोटा होते देखें हैं। चित्र की भांति साइकिल छोटी और छोटी और छोटी होती गयी। जब हम साइकिल चलाना शुरू किए तब चार चरण होते थे... पहला चरण - टहलाना, ढुगराना दूसरा चरण - कैंची तीसरा चरण - डंडा चौथा चरण - गद्दी तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं हुआ करता था। क्योंकि तब घर में साइकिल बस पापा या चाचा चलाया करते थे। साइकिल की ऊंचाई भी आज कि तरह नहीं थी। उस समय साइकिल की ऊंचाई कोई 22 से 24 इंच हुआ करती थी। जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी। ऐसी साइकिल को गद्दी से चलाना मुनासिब नहीं होता था। "टहलाना" तब हमें साइकिल टहलाने के लिए ही मिलती थी। इसमें साइकिल के बाएं तरफ के हैंडल को बाएं हाथ से और फ्रेम या गद्दी को दाहिने हाथ से पकड़कर टहलाना होता था। इस दौर में कभी कभी दो लोगों की संयुक्त जिम्मेदारी में छोटे मोटे काम दिया जाता था। उसमें भी एक साथी को साइकिल चलाने का थोड़ा बहुत ज्ञान होता था, इसी उम्मीद पर गेंहू चक्की ले