15 हजार लोगों की मौत के 31 साल बाद नहीं दिला पाए न्याय, लानत है व्यवस्था पर
भोपाल के हजारों लोगों की इहलीला एक झटके में समाप्त कर देने वाले आज 31 साल बाद भी आजाद हैं। कुछ दोषी पकड़े भी गए तो उन्हें सरकारों ने निजी लाभ के लिए विदेश भेज दिया। यह न्याय व्यवस्था पर सवाल है, सरकार पर सवाल है कि इनके दोषियों को 31 साल बाद भी सजा नहीं हुआ। लानत है ऐसे कानून, न्याय और सरकारों पर जिसने पूरे भोपाल को मुर्दा बनाने वालों को छोड़ दिया। शर्म आनी चाहिए ऐसी कानून को न्याय व्वस्था को और सरकार को जिसने 15 हजार लोगों को न्याय नहीं दे पाए। शर्म आनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट को जबलपुर हाईकोर्ट को और भोपाल के जिला कोर्ट में बैठे न्यायधीशों को जो सामूहिक मौत के जिम्मेदारों को सजा नहीं दे सके। उन मरने वालों को न्याय नहीं दे सके। ठिक 31 साल पहले की बात कर रहा हूं, यह वही समय था जब आधी रात थी। जब पूरा भोपाल चैन की नींद सो रहा था, और सोता रह गया था। भोपाल की 15 हजार से अधिक जनता दूबारा नहीं जग सकी थी। भोपाल के यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी जहां किटनाशक बनता था के कारखाने का टैंक नंबर 610 में एक विस्फोट होने, और उसके बाद रिसने वाली जहरीली गैस ने लगभग 15,000 से अधिक लोगो को मौत दे