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दिसंबर 16, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुपर सीएम की प्रथा छत्तीसगढ़ में जारी है

 छत्तीसगढ़ में सुपर सीएम की एक बार फिर बात निकलकर आ रही है। छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया का यह दुर्भाग्य ही कहेंगे की निर्वाचन में जनता अपने लिए जन प्रतिनिधि का चुनाव करती है और यही जन प्रतिनिधि सत्ता में आने के बाद अधिकारियों को सुपर सीएम बना लेते हैं। अजीत जोगी के समय से चली आ रही व्यवस्था को डाॅ. रमन के समय अमन सिंह को और अब भूपेश बघेल के समय सौम्या चौरसिया को कथित सुपर सीएम घोषित किया जाना राज्य की जनता के वोट पर करारा प्रहार होने के साथ ही लोकतांत्रिक गणराज्य को मजाक बना दिया गया है। इधर ईडी ने छत्तीसगढ़ की कथित सुपर सीएम को कथित भ्रष्टाचार के मामले में हिरासत में ली है। राज्य मेंववैसे आई तो झारखंड पुलिस भी है भाजपा के नेता और भानुप्रतापपुर के प्रत्याशी को गिरफ्तार करने पर लगता है हौंसला नहीं कर पा रही या फिर राज्य की सरकार सहयोग नहीं कर पा रही। चाचा कह रहे थे बात जो भी हो चोर चोर मौसेरा भाई होते हैं, डाॅ. रमन के समय हुए कथित घोटालों में अब वर्तमान की कांग्रेस सरकार की संलिप्त होना उजागर हुआ है। जो भी हो जनता के धन का सरकार में कोई भी रहे जमकर दुरुपयोग हो रहा है।

सरकार नहीं निभा पा रही जिम्मेदारी

 इसी ठंड के महीने की बात थी 2014 में बिलासपुर में नया नया आया था, कुछ माह ही बीते थे, रायपुर में तीन साल रहने के बाद यहां मौका मिला था, चुनौती थी सबकुछ समझने की। अब तब अखबारों से रिपोर्टर की खबर टाइप करने के लिए लगाए गये कंप्यूटर टाइपिस्ट हटा दिए गये थे। ऐसे में लंबी लंबी खबर लिखने पर हर दिन समझाइश दी जाती और कभी कभार सीनियर से डांट भी पड़ती थी। हालांकि वक्त का पहिया चलता जा रहा था, मुद्दे की बात यह है कि ऐसे ही ठंड के समय में कानन पेंडारी के पास कैंसर के इलाज के लिए एक परिवार द्वारा दान की गयी जमीन और अस्पताल में महिला नसबंदी शिविर लगाई गयी।   जहां बड़ी संख्या में आस-पास की‌ महिलाओं की नसबंदी की गयी। साथ ही कयी दवाइयों के साथ जहरीली सीप्रोसिन 500 दवा भी विपरीत कर दी गयी। यह दवाइयां  सरकार ने सप्लाई की गयी थी। इसे खाने के बाद एक एक कर महिलाओं की तबीयत बिगड़ने लगी और फिर एक के बाद एक महिलाओं की मौत होने लगी। इस घटना के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य का सच सामने आया और मीडिया के माध्यम से एक के बाद एक पोल खुलता चला गया। इसके कयी साल बाद सिम्स में एक घटना घटी जिसमें पता चला कि बिजली के लिए लगे स

प्राचार्य के भाषण का डर

 प्राचार्य के हाथ में माइक देखकर प्रोफेसर डाल लेते हैं कान में रूई यह पढ़कर आश्चर्य में मत पड़िए यह हकीकत बिलासपुर में एक कॉलेज की प्राचार्य के भाषण का है। वैसे तो बिलासपुर में सौ से ज्यादा कॉलेज हैं लेकिन इस काॅलेज की बात ही कुछ अलग है। यहां के छात्र से लेकर प्रोफेसर तक में भाषण को लेकर दहशत महसूस किया गया है। कोई छात्र हो या प्रोफेसर मैडम का भाषण शुरू होने वाला है इतना सुनकर ही भयभीत हो जाते हैं यह भय इतना है कि वे इस बारे में बात तक नहीं करते। भय का माहौल ऐसा है कि मैडम प्राचार्य के हाथ में माइक देखकर ही प्रोफेसर कान में रूई डाल लेते हैं। वहीं प्राचार्य मैडम एक बार भाषण देना शुरू कर दीं तो फिर किसी की मजाल नहीं है कि उन्हें कोई टोक दे। भाषण देने से रोक ले ऐसा हिम्मत किसी में नहीं है। इतना ही नहीं कॉलेज में कोई कार्यक्रम होने वाला है इस बात की जानकारी होने और प्राचार्य का भाषण होगा इतनी सी जानकारी मात्र से कॉलेज के प्रोफेसर अपने जेब में रुई डालकर लाते हैं और भाषण के समय कान से खून न निकल जाए इससे पहले ही वे अपने कान में डाल लेते हैं। इतना ही नहीं बच्चे कार्यक्रम छोड़कर गायब हो जाते है

बढ़ते अपराध पर पुलिस का नियंत्रण नहीं

 एक समय था जब बिलासपुर रहने के लिए सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले शहरों में से एक हुआ करता था। लेकिन अब न तो शहर रहने लायक है, न शहर की सड़क चलने लायक, अपराध, नशाखोरी का गढ़ बनता जा रहा है छत्तीसगढ़। लाॅ एंड आर्डर नहीं सुधर रहा, आईजी बीएन मीणा सबसे सख्त एएसपी और एसपी रहे हैं, अब उनके आईजी बनने से पहले जैसी ही उम्मीद है कि वे अपराधियों पर लगाम लगाने में सफल रहेंगे। जिस तरह दिनदहाड़े गोली चल रही है, एसएसपी हत्या के चंद घंटे में मरने वाले के ही अपराध की जानकारी दे रही हैं, जैसे पुलिस मान रही हो कि ठीक हत्या हुआ। इसके बाद भी‌ लगातार हत्याएं हो रही हैं उससे ऐसा लगने लगा है जैसे कानून का भय खत्म हो रहा है। आज एक नया निर्देश एसएसपी ने मीडिया के लिए जारी की हैं, उनके मुताबिक मीडिया काम करे, पुलिस मीडिया के अनुसार कब काम की है जो‌ मीडिया से उम्मीद करती है मीडिया उनके अनुसार काम करे। अब तो लगनर लगा है कि पुलिस ही अपराधियों के साथ मिलकर घटनाओं को‌अंजाम दे रही है। क्योंकि पुलिस द्वारा अपरिपक्व हरकत किया जा रहा है।  पुलिस की गश्ती कम होने के साथ ही कोर्ट से अपराधियों को सजा देने और जमानत में छोड़ने