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झीरम हमला की यादें

शाम के पांच बजे थे, यूनिवर्सिटी से छूटने के बाद हास्टल के लिए आया और क्या चल ‌रहा जानने के‌ लिए टीवी पर न्यूज लगाया था। तभी एक के बाद एक फूल स्क्रीन ब्रेकिंग आना शुरू हो गया। दरभा में नक्सली हमला... कांग्रेस के काफीले पर‌ नक्सली हमला... दरभा के झीरम घाटी में हमला हुआ है... पत्रकार के लिए यह अनुमान लगाना कठीन नहीं था, क्या हुआ होगा। वह भी उस क्षेत्र के पत्रकार के लिए जहां आए दिन नक्सली घटनाएं होती हैं। जर्नलिज्म के दूसरे सेमेस्टर का स्टूडेंट भले कुछ न समझ पाए लेकिन यह बड़ी घटना है एक पत्रकार के लिए समझना कठिन न था। उसके बाद कौन टीवी से हटता है, लगातार अपडेट आ रहे थे। महेंद्र कर्मा की हत्या.... नंदकुमार पटेल व दीपक पटेल का अपहरण.... पुलिस मौके पर पहुंची... विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल... जगदलपुर मेडिकल काॅलेज‌ में भर्ती... रायपुर के कई नेता थे उस काफीले मे.... मातम‌ का लहर छाया... चुनाव से ठीक छह माह पहले घटना हुई। इसके बाद भी प्रदेश में भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई‌। वजह स्पष्ट था, कांग्रेस में कोई भी शीर्ष नेता नहीं बचा था। जो थे उनपर लोगों को भरोसा नहीं था ऐसा बि