ठगों से मिले हुए हैं बैंक अधिकारी, तभी तो नहीं पकड़े जाते ठग
दो बातें कहना चाहता हूं। पहला बंदर के हाथ में उस्तरा और दूसरा हर शाखा पर उल्लू बैठा है। यह लेख इसी पर आधारित है। पहले विषय पर आता हूं। बंदर के हाथ में उस्तरा यहां मैं बंदर बैंक के उन तमाम ओहदेदारों को कह रहा हूं जो नोटबंदी के दौरान जमकर माल पीटे। उसके बाद ये माल पीटने के गुरू बन गये। संगठन बना लिया ताकि सरकार इनकी कलयी न खोल सके। सरकारों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया ताकि इनके यहां छापा न पड़े। इसके बाद भी कईयिओं के यहां छापा पड़ा और खूब माल भी मिला। यह नोटबंदी के दौरान मैनेजर से लेकर कैशियर यहां तक कि चपरासियों ने भी माल सोटा। ये वे लोग(बंदर) थे जिन्हें सरकार ने उस्तरा पकड़ा दी। उस्तरा मिलते ही ये लोग व्यापारियों और आम जनता को गंजा कर दिया। इससे भी जी नहीं भरा तो नाक कान भी काट लिया। आंखे निकाल ली। पूरी गाढ़ी कमाई को कालाधन बताते हुए अनाप-शनाप तरीके से बैंक में जमा कर लिया। दूसरी बात बैंक के हर शाखा में उल्लू बैठा मिलेगा। यहां लोग अपने मेहनत का पैसा जमा करने और निकालने आते हैं। यहां के हर कर्मचारी का काम है, लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराए। इसी का तनख्वा