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नवंबर 18, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रामपाल कैसे संत जो देश की कानून को नहीं मानते

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देश की मीडिया में इन दिनों हरियाणा के कथित संत रामपाल (क्योंकि संत शांत शब्द से बना है और इनका नाम आते ही अशांति और उपद्रव होने की बात दिखती है) को लेकर कोहराम मचा हुआ है। हर बड़ी खबर के बाद इनके बारे में दिखाया जा रहा है। रामपाल जो भी हो इससे पहले भी कई संत जेल गए है। खुद रामपाल पहले भी जेल जा चुके हैं। ऐसे में यह कोहराम क्यों है। समझ से परे है। रामपाल देश की कानून व्यवस्था से ऊपर नहीं है। उनके समर्थक देश के कानून को माने। खबर आ रही है कि एक रामपाल को बचाने 8 लोगों की मौत हो चुकी है। एक आदमी को बचाने इतने लोगों की बली दिया जाना कितना न्यायोचित है। देश की न्यायालय ने उन्हें पेश होने कहा है। इसके बाद भी अगर वे उसकी अवहेलना कर रहे हैं तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी। ऐसे व्यक्ति को फिर भी संत कहा जाना कितना सही होगा। संत तो वह होता है जो न्याय कानून और ऐसे तमाम चिजों को माने ‘और लोगों को इस और जागरूक करे ताकि वे गलत कार्य न कर सके। यहां तो संत खुद कानून तो तोड़ ही रहे हैं अपने अनुनाईयों और समर्थकों से भी कानून तोडवा रहे है। यह गलत है और संत समाज को इसकी निंदा करनी

नसबंदी कांड के विरोध में शब्द नहीं चित्र

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नसबंदी कांड पर कुछ कार्टूनिस्टों ने कुछ ऐसे कार्टून बनाए। कुछ ने ऐसे स्लोगन के साथ विरोध किया। तो कुछ ने अपने पेट्स को अच्छे दिन आने की बात लाई। नसबंदी कांड बिलासपुर छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के लिए बहुत ही बड़ी बात है। इसके बाद भी राज्य सरकार के अड़ियल रवैया से लोगों को कैसे आहत किया है यह इन चित्रों को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है।                                           नसबंदी कांड के बाद विरोध करने वालों ने कुछ इस प्रकार के तख्तिया और तरीके अपनाएं है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम दूसरा पत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी।  आपके केंद्रीय मंत्रीमंडल के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन बिलासपुर के नसबंदी कांड के बाद से गायब है। अगर आपको मिलेें तो बोल दिजीएगा कि वे अब सिर्फ दिल्ली के नेता नहीं रहे। केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री का पद मिला है तो पूरे देश का स्वास्थ्य विभाग उनके अंदर में आता है। उन्होने जिस तरह से अपने कार्य में लापरवाही बरती है इससे तो यही लगता है कि आपके मंत्री मंडल को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। छत्तीसगढ़ राज्य देश के लिए कोई अहमियत नहीं रखता। आदिवासी बहुल्य राज्य है इसके कारण आप और आपके मंत्री मंडल के लोग जैसे चाहेंगे वैसे करेंगे। शर्मनाक बात यह है कि नसबंदी जैसे महत्वपूर्ण योजना को जिस तरह से लापरवाही बरत कर घटिया बनाई जा रही है। इससे न सिर्फ भारत में जनसंख्या विस्फोट होगा बल्कि ग्लोबलाईजेश की आपकी सोच पर भी चोट है। इसका फायदा अमेरिकी कंपनियां उठाना शुरु कर दी है। एक समय था जब भारत दवाइयों के सप्लाई के लिए प्रसिद्ध था अब यहां की घटिया दवाई की चर्चा जब कि विश्व स्तर पर हो रहा है तो इसका दुष्प्रभाव क्या होगा आप से बेहतर कौन समझ सकता है। दुनिया भर में इस बात की चर

नसबंदी कांड के बाद कांग्रेसी गायब हुए

नसबंदी कांड में कुछ दिन तो कांग्रेसी सक्रीय दिखे। इसके बाद पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बड़े नेता जिस प्रकार गायब हुए है यह सोच का विषय बन गया है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस जिस तरह से काम कर रही है। वह संतोषजनक नहीं है। यहां कांग्रेस सुस्त हैं और बीजेपी तंदरुस्त। कांग्रेसियों का हाल अभी ऐसा है जैसे वह सिप्रोसिन की गोली खा लिये हों। अगर यह नहीं है तो फिर हुआ क्या है इन कांग्रेसियों को क्यों इतनी मौत के बाद भी सरकार को बर्दाश्त कर रहे है। क्यों उनका विरोध नहीं कर रहे। वैसे तो विधानसभा में तोड़ फोड और दिल्ली में हंगामा कर डालते है। छत्तीसगढ़ आदिवासी अंचल है इस लिए दिल्ली में आवाज नहीं उठाई जा रही। ऐसा है तो कांग्रेसियों का दुर्भाग्य ही है। ऐसे मुद्दे पर जब चहुओर विरोध हो रहा है तो कांग्रेस के नेता और पदाधिकारी राज्य में चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस से राज्य की आवाम यह जानना चाहती है कि कांग्रेस किस लाभ के कारण ऐसा नहीं कर रही है। कांग्रेस के नेताओं की राजनीतिक बचपन में ही नसबंदी तो नहीं कर दी गई। वे अपने राजनीतिक अपना पौरुष क्यों नहीं दिखा रहे। कुछ तो ऐसा हुआ है जिससे कांग्रेसी च