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यहां बहुएं करती हैं सास की पूजा

साझा चूल्हे की संस्कृति-सभ्यता वाले अपने देश में रिश्तों की डोर कमजोर हो रही है और परिवार बिखरते जा रहे हैं। ऐसे दौर में रतनपुर का तंबोली परिवार किसी मिसाल से कम नहीं। इस परिवार में कुल 39 सदस्य हैं और इन सभी ने मन के तार इस मजबूती से बांध रखे हैं कि मनमुटाव या आम परिवारों जैसे झगड़े-टंटे इन्हें नहीं तोड़ पाते। इस आत्मीयता के मूल में हैं परिवार की मुखिया और 11 बहुओं की सास जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। जब तक रहीं, अपनी देवरानियों और बहुओं को मां जैसा स्नेह दिया। यही वजह है कि बहुओं ने सास की याद को अमर रखने घर पर उनका मंदिर बनवाया, उनकी मूर्ति का सोने के गहनों से ठीक उसी तरह साज-श्रृंगार किया, जैसा वे किया करती थीं। रोज पूजा-आरती करती हैं बहुएं रतनपुर करैहापारा निवासी 71 वर्षीय शिव प्रसाद तंबोली रिटायर्ड टीचर हैं। अब इस परिवार की बागडोर उनके ही हाथों में हैं। पहले परिवार को संजोए रखने का काम उनकी पत्नी गीता देवी करती थीं। 2010 में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी याद में बने मंदिर में सभी बहुएं और अन्य सदस्य मिलकर सुबह-शाम उनकी पूजा और आरती करते हैं। उनका मानना है कि गीता देवी के प्रयासों से