नसबंदी: क्या पता था कि परिवार को रोकने में जिंदगी ही रुक जाएगी
छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में 8 नवंबर को नेमीचंद्र जैन अस्पताल में परिवार नियोजन के लिए लगाए गए शिविर में डॉ. आरके गुप्ता और टीम ने लेप्रोस्कोपिक विधि से 6 घंटे में 83 ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन कराने आई महिलाओं जिनमें से कुछ को जबरदस्ती लाया गया था तो कुछ को बहला फुसलाकर। कुछ ने अपने परिवार वृद्धि को बढ़ने से रोकने के लिए आई थी। पर इनमें से किसी को पता नहीं था कि यह ऑपरेशन उठाने का कदम उनकी जिंदगी ले लेगी। उन्हें यह कतई नहीं पता था कि परिवार रोकने जो कदम उठाई हैं इससे उनकी मौत हो जाएगी। वे अपने मासुमों को जिंदगी भर का गम दे जाएंगी। यह उनके जिंदगी का आखिरी सच होगा। नसबंदी शिविर में ऑपरेशन और दवाईयों में हुई गड़बड़ी के कारण लोगों के दिलों दिमाग में परिवार रोकने के लिए नसबंदी कराने नामक भूत बैठी भूत अब बाहर निकल गया। जब एक के बाद एक 15 महिलाओं ने दम तोड़ दिया। जो हादसा बिलासपुर में घटी है वह इन शिविरों में होने वाली लापरवाही और सरकारी महकमें की उदडंता है। सरकार में बैठे लोगों को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी थी और कड़ी सजा मिलनी थी पर ना तो इन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ा