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कल कुछ बस्ते घर नहीं आए

कल कुछ बस्ते घर नहीं आए कल कुछ बस्ते स्कूल नहीं जाएंगे... यह लेख उन बच्चों के लिए है जो पेशावर स्कूल में हुए आतंकी हमले में मारे गए। पाकिस्तान में जिस तरह से बच्चों पर हमला हुआ इससे यह पता चलता है कि वहां अब मानवता नहीं बची। ना तो देश की सरकार में और ना ही वहां के सैनिकों में आतंक फैलाने वाले लोगों की तो जमीर ही मर गई है। हलांकि यह सच है आज नहीं कल ऐ बच्चे भारत और आस पास के देशों के लिए सर दर्द बनकर उभरते। माफ किजीएगा जो हालात पाकिस्तान ने बनाया है दुनिया में उससे यह अंदाजा लगाना मेरा गलत नहीं है। पाकिस्तान के 100 लोगों का सर्वे करा कर देख लें, 100 घरों की तलाशी लेकर देख लें, वस्तुस्थिति पता चल जाएगी। यह घटना दुनिया में अपने आप को दिखाने के लिए नहीं था बल्कि इस लिए है क्यों कि वहां की सरकार आतंकवादियों की बात कुछ समय तक नहीं मानी। आप अगर पाकिस्तान की बात करेंगे तो वहां किसी भी मजहब और धर्म के लोग अब नहीं रहे और एक बात कहूं की वहां के लोगों का अब ऐसा लगता है कि एक ही मजहब और धर्म है और वह आतंकवाद... हर घर में एके 47 और एके 56 जहां मिले वह देश कैसा हो सकता है। उस देश के लोग कैसे हो