मीडिया पर विदेशी फंडिंग के आरोप लगेंगे

दैनिक भास्कर, बीबीसी और दूसरी तमाम मीडिया हाउस पर कार्रवाई के बाद अब न्यूज क्लिक मामले पर कार्रवाई  को पत्रकार पहचान चुके हैं। हालांकि इस कार्रवाई को आईटी सेल का हिस्सा और चाटुकार मीडिया घराने से जुड़े चंद स्वार्थी और चाटुकार लोग अच्छा मान रहे हैं क्योंकि सरकार उनके हर एक शब्द को खरीद ली है। जिनके शब्द नहीं बिके हैं सरकार वह हर आवाज को लगातार दबाने के लिए काम कर रही और करेगी जो आवाज सत्ता के खिलाफ होगी। आरोप विदेशी फंडिंग के लगेंगे, क्योंकि यह आरोप लगाकर लोगों को अपने पक्ष में करना आसान है। चीन, पाकिस्तान और तमाम उन देशों से फंडिंग का आरोप लगा दिया जाएगा जो दुश्मन देश हैं, इसे इतनी तेजी से वायरल किया जाएगा कि देश की जनता कार्रवाई को सही मान ले, क्योंकि झूठ को बेचने वालों ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है और वे अब मीडिया की हर उस आवाज को हर तरह से दबाएंगे जो उनके खिलाफ होगी। आवाज दबाने की हर वह तरकीब कोई और नहीं बल्कि मीडिया की पढ़ाई की, मीडिया से जुड़े चंद चाटुकार और दलाल किस्म के लोग ही कर रहे हैं। क्योंकि लोहा लोहे को काटता है। 

अगर वास्तव में कोई अपराध हुआ है तो कानून को अपना काम करना चाहिए लेकिन उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही जांच किया जाना चाहिए। विशिष्ट अपराधों की जांच से सामान्य माहौल नहीं बनाना चाहिए जो कि नए घटना क्रम में देखने को मिल रहा है। यहां अपराध से कहीं ज्यादा आवाज दबाने का प्रयास दिखाई दे रहे हैं। फिर चाहे वह दैनिक भास्कर और बीबीसी के साथ हुआ हो या फिर अन्य मीडिया घराना और अब यह कार्रवाई ही क्यों न हो। यह छापेमारी मीडिया के मुंह का मुंह बंद करने का एक और प्रयास है।

   कठोर कानूनों का इस्तेमाल देश में इन दिनों डराने धमकाने के लिए किया जाने लगा है। खासकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आलोचनात्मक आवाज को उठाने पर उन आवाजों को दबाने के लिए मीडिया को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है, जो बहुत ही गलत परंपरा की शुरुआत हो चुकी है। सरकार को लोकतंत्र की रक्षा के लिए मीडिया की रक्षा करना चाहिए, लेकिन सरकारें मीडिया को लगातार दबाने का काम कर रही हैं, चौथे स्तंभ का सम्मान, पोषण और सुरक्षा करके उसकी आवाज को बुलंद किए जाने की आज आवश्यकता महसूस की जा रही है। 

   देश में आज आईटी सेल वाली सरकार है जो सच को झूठ और झूठ को सच बनाने के लिए दिन रात काम कर रही है। जो आवाज इनकी आलोचना के लिए उठती है फिर चाहे वह सोशल मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया तुरंत दबाने का काम किया जाता है। अगर बात उससे भी आगे निकल गई है तो फिर ईडी, सीबीआई, आईटी और दूसरे हथकंडे का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे सस्ता आरोप चीन और विदेशी फंडिंग का आरोप कार्रवाई करने के लिए लगाया जाता है। मीडिया ने खुद का चीर हरण कराया है, इसलिए अपनी लाज और खुद को बचाने के लिए उन्हें किसी कृष्ण की नहीं बल्कि एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। हालांकि यह संभव नहीं है क्योंकि ज्यादातर मीडिया समूहों के मालिक तलवे चाट चाट कर अपने घराने को चला रहे हैं। 

   देश की मीडिया का हाल किसी से छुपा नहीं है जो बिक गए पहले उन्हें खरीदा, जो नहीं बिका उन्हें तोड़ दिया। बस यही तोड़ो जोड़ो की राजनीति देश में चल रही है जो जल्द ही देश को गर्क में लेकर जाएगी। मीडिया के लिए और मीडिया कर्मियों के लिए संविधान में स्पष्ट व्यवस्था नहीं होने से चालाक और धूर्त लोग चाटुकार और पीत पत्रकारिता करने वाले कुछ पत्तालकार वहशी पत्रकारों की वजह से आज पूरी कौम असुरक्षित महसूस कर रहा है। सत्ता के लालची लोगों ने आज सत्ता हथियाकर मनमानी कर रहे हैं और देश की जनता के आंख में आईटी सेल के लोगों के माध्यम से धूल झोंका जा रहा है। 

सत्ता के लिए किए गए 1974 में घोषित आपातकाल के बाद अब एक बार फिर सत्ता के लिए देश में अघोषित आपातकाल चल रहा है। जो भी खिलाफ में लिखेगा, जो भी खिलाफ में बोलेगा उसका हाथ और गला दबा दिया जाएगा। हमारे पास शब्द कड़े नहीं हैं राजनेताओं की तरह लेकिन मामला आवाज दबाने की है इसलिए हम इसकी निंदा करते हैं और हर उस कार्रवाई की निंदा करते हैं जो गलत नीयत से सरकारें जनता की आवाज दबाने के लिए कर रही हैं। 

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